(रसराज द्वारा तुलसी जयंती का आयोजन)
साहित्यिक संस्कृतिक संस्था 'रसराज'द्वारा एस्पेन गार्डन,राम मंदिर गोरेगांव में तुलसी जयंती पर एक भव्य परिसंवाद एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि भक्ति के लिए विख्यात तुलसी काव्य में प्रेम की चर्चा नहीं होती, पर उनमें प्रेम के प्रगाढ़ से लेकर ललित तक के सारे रूप अंतः सलिला बनकर प्रवाहित हैं। राम सीता के प्रथम मिलन से लेकर विवाह,वन,एवं लंका तक के प्रसंगों में प्रेम के सभी रूप निहित हैं।'रसराज' के अध्यक्ष कवि रासबिहारी पाण्डेय ने रामचरितमानस की अंतर्कथाओं की चर्चा करते हुऎ कहा कि गोस्वामी जी ने जीवन के सारे पक्षों पर सप्रमाण बातें की हैं। मानस का गहन अध्ययन करके हम हजारों सद्ग्रंथों का सार ग्रहण कर सकते हैं क्योंकि तुलसी ने स्वयं स्वीकार किया है कि नाना पुराण, आगम निगम के अतिरिक्त इतर ग्रंथों का सम्यक अध्ययन करके उन्होंने इस ग्रंथ की रचना की है। बीबीसी लंदन के पूर्व उद्घोषक कवि/ कथाकर भारतेंदु विमल ने कहा कि सारे विश्व में जहां कहीं भी हिंदी है,तुलसी साहित्य का वहाँ पारायण होता है, इतने व्यापक स्तर पर किसी अन्य कवि की पहुंच नहीं है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ओमप्रकाश दुबे ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से दूषित होती जा रही युवा पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए रामचरितमानस का पारायण करवाना आवश्यक है ।
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में ओमप्रकाश तिवारी, गुलशन मदान, रामकुमार वर्मा, राजू मिश्र 'कविरा',अरुण दुबे, जवाहरलाल निर्झर, राम सिंह, कल्पेश यादव, रामव्यास उपाध्याय,डॉ. रोशनी किरण, अलका अग्रवाल सिगतिया, किरण तिवारी और वर्षा महेश ने आध्यात्मिक रचनाओं का पाठ किया।आभार ज्ञापन हितेश सोमपुरा द्वारा किया गया।
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