बुधवार, 27 अगस्त 2025

साहिर के बाद साहिर से बड़ा शायर नहीं हुआ:हसन कमाल





साहिर के बाद साहिर से कोई बड़ा शायर पैदा नहीं हुआ। जिंदगी और समाज के तकाजों को जिस गहराई के साथ महसूस कर उन्होंने अपनी रचनाओं में पिरोया है,वैसी मिसाल दुर्लभ है।'रसराज' द्वारा आयोजित 'साहिर स्मृति संध्या' में ये विचार वरिष्ठ उर्दू शायर और फिल्म गीतकार हसन कमाल ने व्यक्त किए। 

साहिर की नज्म ''वो सुबह कभी तो आएगी' का जिक्र करते हुए विजय अकेला ने कहा कि साहिर ने इस नज़्म में जिस तरह के समाज की परिकल्पना की है, हमें उसे समाज तक पहुंचने की जरूरत है।

सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि ताजमहल को बिना देखे उस पर सबसे इतर कविता लिख कर साहिर ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकानुभव से कहीं बड़ा होता है रचनाकार का स्वानुभव जो उसे महान बनाता है।

शाहिद लतीफ ने कहा कि सबसे ज्यादा महिलाओं की अस्मत और हिफाजत के लिए साहिर ने लिखा है।साहिर का पैगाम जमाने को समझाने की जरूरत है। 

कार्यक्रम के संयोजक और संचालक कवि रासबिहारी पाण्डेय ने कहा कि साहिर से पहले और साहिर के बाद फिल्मों में लिखने वाले अनेक गीतकार हुए लेकिन अदबी मेयारऔर व्यावसायिक सफलता को कायम रखते हुए जिस तरह साहिर ने अपना रुतबा बुलंद किया वह कोई और नहीं कर पाया।

दीपक खेर,अनुष्का निकम और रश्मि श्री ने साहिर के फिल्मी गीत प्रस्तुत किये।पं.विष्णु शर्मा,ओबेदआजमी,नीता वाजपेयी, मधुबाला शुक्ला और प्रज्ञा पद्मजा ने साहिर की नज्में पढ़ीं।कार्यक्रम के दौरान साहिर के निवास स्थान परछाइयाँ (जुहू)को स्मारक घोषित करने और यहाँ साहिर संग्रहालय स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को ज्ञापन देने पर भी चर्चा हुई।



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