मुंबई में 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित करा लिया गया है।अब प्रश्न यह है कि क्या पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप के आरोपी डेनमार्क नागरिक किम डेवी को भी प्रत्यर्पित कराया जा सकेगा?
17 दिसंबर 1995 को एक रूसी विमान, जिसमें पांच लातवियाई नागरिक, ब्रिटिश हथियार डीलर पीटर ब्लीचऔर डेनिश तस्कर किम डेवी शामिल थे, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के पांच गांवों पर 2,500 एके-47 हथियार और 1,500,000 राउंड गोला-बारूद गिराकर थाईलैंड चला गया।सुबह होते ही जंगल के आग की तरह यह बात चारों तरफ फैल गई। अधिकांश हथियार और गोला बारूदआनंद मार्गियों (जिनमें तत्कालीन सांसद पप्पू यादव भी शामिल थे।)
और गांव वालों ने लूट लिए,पुलिस बहुत कम बरामद कर सकी। इन हथियारों की कीमत तब साढ़े चार हजार करोड़ आंकी गई थी।
इनमेंं से पंद्रह एके सैंतालीस बिहार के माफिया डॉन सूरजभान के हाथ लग गए थे जिसमें दो एके सैंतालीस उसने यूपी के डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला को दे दिए थे जिससे उसने बिहार सरकारके मंत्री बृज बिहारी प्रसाद और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री वीरेंद्र शाही समेत अन्य दर्जनों हत्यायें की थीं।
तीन दिनों बाद उस विमान को थाइलैंड से करांची जाते हुए भारतीय वायु सेना के मिग-21 ने रोक लिया और मुंबई में उतरने के लिए बाध्य किया।
गिरफ्तार किए गए लोगों में से ब्रिटिश नागरिक पीटर ब्लीच, डेनमार्क नागरिक नील्स क्रिश्चियन नीलसन उर्फ किम पीटर डेवी और अन्य पांच लातवियाई नागरिक थे।
उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन नील्स क्रिश्चियन नीलसन उर्फ किम पीटर डेवी जो डेनमार्क का नागरिक था, मुंबई एयरपोर्ट से ही भाग निकला। टाइम्स नाऊ पर अर्णव गोस्वामी को दिए गए इंटरव्यू में किम ने स्वीकार किया था कि वह मुंबई से पुणे गया,पुणे से दिल्ली पप्पू यादव के घर पर गया जहां से उसे दिल्ली से नेपाल बार्डर तक जाने वाली ट्रेन में बिठाया गया।पप्पू यादव के गुर्गों ने उसे नेपाल हवाई अड्डे तक छोड़ा जहां से किम विमान द्वारा डेनमार्क चला गया।
बाद में उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस जारी किया गया।उसने अपनी पुस्तक ' दे कॉल मी ए टेररिस्ट' में इस बात को स्वीकार किया है कि उसने लातविया में खरीदे गए विमान से हथियार गिराए थे । कहा जाता है कि तब कांग्रेस शासित पी वी नरसिंहाराव की पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों के आतंक से डरी हुई थी और आनंदमार्गियों को उनसे मुकाबला करने के लिए कुल 4 टन हथियारऔर गोला बारूद की तस्करी कराई गई थी। विमान के भारत में प्रवेश के समय कथित तौर पर उस निश्चित समय के लिए राडार हैक कर लिए गए थे ताकि विमान सुरक्षित तौर पर भारत में प्रवेश कर सके। विमान बनारस में उतरने के बाद आठ घंटे तक रुका रहा,यहां से इंधन लेकर कोलकाता हवाई अड्डे पर उतरा और फिर वहां से पुरुलिया के आसपास बहुत नीचे से उड़ते हुए हथियारों के इस जखीरे को नीचे गिरा दिया। आनंदमार्ग का मुख्य कार्यालय पुरुलिया ही था जहां हथियार गिराने थे मगर पाइलट सही जगह न पहचान पाने की वजह से पुरुलिया के आसपास के गांवों में ही हथियार गिराकर चलते बना। सुबह होते ही जंगल के आग की तरह यह बात फैल गई कि खेतों में ढ़ेर सारे हथियार गिरे पड़े हैं। आनंदमार्गियों और गांव वालों ने अधिकांश हथियार लूट लिए,पुलिस के पहुंचने के बाद बहुत कम हथियारों की बरामदगी हो सकी। बनारस विमान उतरने के समय मंगला पटेल नामक टैक्सी ड्राइवर किम डेवी को दो बार हवाई अड्डे से किसी होटल तक ले गया। बाद में इस केस की सुनवाई के दौरान वह कई बार अदालतों में भी आता रहा लेकिन सुनवाई पूरी होने से पहले ही उसकी हत्या हो गई और बिहार के किऊल स्टेशन पर उसकी लाश बरामद हुई।
2010 में डेनिश पुलिस ने किम डेवी के घर की तलाशी के दौरान ब्रिटिश नामों और नील्स की तस्वीर वाले दो जाली पासपोर्ट जब्त किए। रूस के राष्ट्रपति पुतिन के हस्तक्षेप के बाद लातवियाई चालक दल (जिन्होंने भारतीय हिरासत में रहते हुए रूसी नागरिकता प्राप्त की थी) को सन् 2000 में राष्ट्रपति द्वारा क्षमा दान के बाद रिहा कर दिया गया। पीटर ब्लीच को भी 4 फरवरी 2004 को भारत के राष्ट्रपति के क्षमादान से रिहा कर दिया गया । कथित तौर पर लगातार ब्रिटिश सरकार के दबाव के कारण 2007 में किम डेवी का पता डेनमार्क के अधिकारियों ने लगाया और 9 अप्रैल 2010 को डेनमार्क सरकार ने किम डेवी को भारत प्रत्यर्पित करने का फैसला किया लेकिन तब कुछ कानूनी अड़चनों के कारण भारत को इसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सका।पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप का यह आरोपी यदि भारत लाया जा सका तो ढ़ेर सारे रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। क्या अब भी उसके प्रत्यर्पण की उम्मीद शेष है?
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